भारतीय संविधान के प्रमुख संशोधन - महत्वपूर्ण संशोधनों की सूची

by Prakash Raiya

भारतीय संविधान में संशोधन भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस लेख में हम 1 से 42वें संशोधन तक संविधान के उन प्रमुख पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जिनका भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

विश्व का सबसे बड़ा संविधान कहे जाने वाले भारतीय संविधान में समय-समय पर संशोधन किए गए हैं, ताकि यह देश की बदलती राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप बना रहे। इन संशोधनों ने न केवल भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत किया है, बल्कि राज्यों के पुनर्गठन, नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और भाषा, संस्कृति और प्रशासनिक व्यवस्थाओं में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। इस लेख में हम 1 से 42वें संशोधन तक कुछ महत्वपूर्ण संशोधनों पर नज़र डालेंगे, जो भारतीय संविधान के विकास में मील का पत्थर साबित हुए हैं।

भारतीय संविधान के प्रमुख संशोधन

भारतीय संविधान के प्रमुख संशोधन

👉 पहला संशोधन (1951) — इस संशोधन द्वारा संविधान में नौवीं अनुसूची जोड़ी गई। इस अनुसूची का उद्देश्य उन कानूनों की रक्षा करना था जिन्हें न्यायालयों में चुनौती नहीं दी जा सकती थी, विशेष रूप से भूमि सुधार और संपत्ति के वितरण से संबंधित कानूनों के संदर्भ में।

👉 दूसरा संशोधन (1952) — इस संशोधन द्वारा संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व निर्धारित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य राज्यों की जनसंख्या के आधार पर संसद में सदस्यों की संख्या तय करना था, ताकि हर राज्य को उसकी जनसंख्या के अनुसार उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।

👉 सातवाँ संशोधन (1956) — इस संशोधन के माध्यम से राज्यों के विभाजन की पुरानी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। पहले राज्यों को A, B, C और D वर्गों में विभाजित किया गया था, लेकिन इस संशोधन के बाद भारत को 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया।

👉 दसवां संशोधन (1961) — इस संशोधन द्वारा दादरा और नगर हवेली को भारतीय संघ में शामिल किया गया तथा इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। यह क्षेत्र पहले पुर्तगालियों के अधीन था, लेकिन 1961 में इसे भारत का हिस्सा बना दिया गया।

👉 12वां संशोधन (1962) — इस संशोधन द्वारा गोवा, दमन और दीव को भारतीय संघ में शामिल किया गया। यह क्षेत्र भी पुर्तगालियों के नियंत्रण में था, जिसे 1961 में भारत संघ में शामिल कर लिया गया।

👉 13वां संशोधन (1962) — संविधान में एक नया अनुच्छेद 371 (ए) जोड़ा गया, जिसमें नागालैंड के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान किए गए। इस संशोधन के बाद 1 दिसंबर, 1963 को नागालैंड को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।

👉 14वां संशोधन (1963) — इस संशोधन द्वारा पांडिचेरी को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में भारतीय संघ में शामिल किया गया। साथ ही हिमाचल प्रदेश, गोवा, दमन और दीव, पांडिचेरी और मणिपुर जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभाओं की स्थापना की गई।

👉 21वां संशोधन (1967) — इस संशोधन ने सिंधी भाषा को आठवीं अनुसूची में जोड़ा। आठवीं अनुसूची में भारत की भाषाओं की सूची है और इस संशोधन के बाद सिंधी भाषा को भी आधिकारिक मान्यता दी गई।

👉 22वां संशोधन (1968) — इस संशोधन ने संसद को मेघालय को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ वहां एक विधायिका और मंत्रिपरिषद का प्रावधान करने का अधिकार दिया।

👉 24वां संशोधन (1971) — इस संशोधन ने संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन करने का अधिकार दिया। इसका उद्देश्य संसद को संविधान में आवश्यक परिवर्तन करने की शक्ति देना था।

👉 27वाँ संशोधन (1971) — इस संशोधन द्वारा पूर्वोत्तर भारत के असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा राज्यों तथा मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के केंद्र शासित प्रदेशों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए पूर्वोत्तर सीमा परिषद की स्थापना की गई।

👉 31वाँ संशोधन (1974) — इस संशोधन द्वारा लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 545 निर्धारित की गई। इसमें से 543 सदस्य प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने जाते हैं तथा 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।

👉 36वाँ संशोधन (1975) — इस संशोधन द्वारा सिक्किम को भारतीय संघ का 22वाँ राज्य बनाया गया। इसके साथ ही सिक्किम को भारत गणराज्य में एक पूर्ण राज्य के रूप में शामिल किया गया।

👉 37वाँ संशोधन (1975) — इस संशोधन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में एक विधानमंडल और मंत्रिपरिषद की स्थापना की गई, जिससे इसे केंद्र शासित प्रदेश की तुलना में अधिक स्वायत्तता प्राप्त हुई।

👉 42वां संशोधन (1976) – इस संशोधन को भारतीय संविधान के इतिहास में 'लघु संविधान' (Mini Constitution) कहा जाता है क्योंकि इसके द्वारा संविधान के कई भागों में बड़े परिवर्तन किये गए जिनमें मौलिक कर्तव्यों को शामिल करना, न्यायपालिका और कार्यपालिका की शक्तियों में परिवर्तन शामिल थे।

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